इंटरनेट और स्मार्टफोन के दौर में कमाई अब सिर्फ नौकरी या बिजनेस करने तक ही सीमित नहीं रह गई है। डिजिटल युग में पैसे कमाने के कई ऐसे तरीके सामने आए हैं, इन नए तरीकों से न सिर्फ लोग अपना घर-परिवार चला रहे हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे रहे हैं। यूट्यूब भी एक ऐसा ही जरिया बनकर सामने आया है। यूट्यूब क्रिएटर्स (यूट्यूब पर वीडियो बनाने वाले) ने वीडियो बना-बनाकर 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6,800 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। खास बात है कि यूट्यूबर्स ने 6,83,900 फुल टाइम नौकरियों के बराबर भी जीडीपी को मजबूत किया है। 92 फीसदी छोटे एवं मध्यम उद्यमियों का कहना है कि यूट्यूब की मदद से उन्हें दुनियाभर में नए लोगों तक पहुंचने में मदद मिली है। 

यूट्यूब पार्टनरशिप के एशिया-प्रशांत के क्षेत्रीय निदेशक अजय विद्यासागर का कहना है कि भारत में यूट्यूब की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को देखकर खुशी हो रही है। देश के यूट्यूबर्स में आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सांस्कृतिक मूल्यों पर असर डालने की अहम शक्ति के रूप में उभरने की क्षमता है। जैसे-जैसे हमारे यूट्यूबर वैश्विक दर्शकों से जुड़ने वाली मीडिया कंपनियों की इस अगली पीढ़ी का निर्माण करेंगे, अर्थव्यवस्था पर इसका असर और तेज होगा।

40,000 से अधिक यूट्यूब चैनलों के एक लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स (ग्राहक) हैं। इनकी संख्या हर साल 45 फीसदी की दर से बढ़ रही है। देश में कम-से-कम छह अंकों या इससे अधिक में कमाई करने वाले यूट्यूब चैनलों की संख्या में सालाना आधार पर 60 फीसदी बढ़ रही है ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स के सीईओ एड्रियन कूपर ने कहा कि यूट्यूब भारतीय निर्माताओं के लिए उनके पेशेवर लक्ष्यों को पाने और उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूट्यूब पर सामग्री के मौद्रिकरण के आठ अलग-अलग तरीकों के साथ यूट्यूब दुनियाभर के क्रिएटर्स के लिए एक प्रेरक स्रोत बनकर उभरा है।