दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्नी को तय गुजाराभत्ता देने की अपेक्ष निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाले पति की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही कहाकि अलग रहने वाली पत्नी और बच्चे को भरण-पोषण से वंचित करना मानवीय दृष्टिकोण से सबसे बड़ा अपराध है। कोर्ट ने पति पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अलग रहने वाली पत्नी और बच्चे को भरण-पोषण से वंचित करना मानवीय दृष्टिकोण से सबसे बड़ा अपराध है। अदालत ने पत्नी को गुजारा भत्ता प्रदान करने के लिए निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली पति की याचिका खारिज करते हुए उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए उक्त टिप्पणी की।