तिरुवनंतपुरम। निशा विरुद्धा केरल की रहने वाली ट्रांसपर्सन है, आज से 3 साल पहले तक उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि वह कभी अपने घर लौट पाएंगी। लेकिन उनके घरवालों ने ना सिर्फ उन्हें घर पर बुलाकर उनका स्वागत किया, बल्कि अपने गुस्से को दरकिनार करते हुए अपनी बेटी के लिए मंजल नीर कार्यक्रम (लड़की के कोमार्य में प्रवेश करने पर किया जाने वाला कार्यक्रम) का आयोजन भी किया। आमतौर पर इस तरह के आयोजन किसी ट्रांसपर्सन के लिंग पुष्टि के ऑपरेशन के बाद किए जाते हैं। निशा की मां के अमुधा का कहना था कि हमने इसे अभी करने का फैसला लिया। इस आयोजन में 21 साल की निशा को रिश्तेदारों और उसके दोस्तों ने बधाइयां दी। आयोजन में उसके रिश्तेदारों ने तमाम रिवाजों को निभाते हुए उसे आशीर्वाद दिया। इस दौरान निशा के स्कूल के दौस्त भी मौजूद थे।
  विरुद्धाचलम में रहने वाले स्थानीय निवासी का कहना है कि निशा दिहाड़ी मजदूर कोलांजी (46) और अमुधा की बेटी है। निशा विरुधाचलम के एक निजी स्कूल में पढ़ती थी फिर बाद में वह हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए तिरुची चली गई थी। निशा बताती हैं कि स्कूल के बाद वह घर पर रहती थी और घर का काम संभालती थी। उनका कहना है कि उन्हें हमेशा लड़कियों के साथ खेलना पसंद आता था। जब उनके घरवालों ने उन्हें इसके लिए डांटा या उनके लड़कियों के साथ खेलने पर एतराज किया तो उन्होंने बताया कि वह अंदर से खुद को एक लड़की की तरह ही महसूस करती हैं। इस बात को सुनकर उनके परिवारवाले उन पर नाराज हुए और उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद निशा तिरुची चली गईं जहां पर उन्हें ट्रांस समुदाय का साथ मिला। एक साल पहले अपनी लिंग पुष्टि सर्जरी के बाद वह लंबे वक्त के बाद घर लौटी हैं। कुछ महीने पहले जब वह घर लौंटी तो उन्होंनें अपनी स्थिति के बारे में अपने परिवार को समझाने की कोशिश की, जिसे सुनकर उन्होंनें उन्हें फिर से अपना लिया।