नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के एक अस्पताल में स्पाइनल ट्यूबरकुलोसिस और पैरों में पूर्ण लकवा से पीड़ित 28 साल की महिला द्वारा स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का नायाब मामला सामने आया है। इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि महिला को स्पाइनल ट्यूबरकुलोसिस और लकवे की बीमारी से भी मुक्ति मिल गई। यह घटना दिल्ली के शालीमार बाग के फोर्टिस अस्पताल की है। हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहा है कि महिला को गर्भावस्था के छठे महीने में शालीमार बाग के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि महिला कई महीनों से अपनी पीठ में दर्द का अनुभव कर रही थी। उसके दोनों पैरों में भी कमजोरी थी। 20 दिनों के भीतर उसके पैर पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गए। महिला को कैथेटर की भी जरूरत थी। महिला की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने पहले उसके रीढ़ की हड्डी में तपेदिक का निदान किया। इसके लिए जून 2023 में मरीज को न्यूरो प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसके बाद उसे छुट्टी दे दी गई, फोर्टिस अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल 1 अगस्त को उनका सिजेरियन सेक्शन हुआ था। उसी महीने एक और न्यूरो प्रक्रिया हुई और फिर उन्हें छुट्टी दे दी गई। उसके बाद स्पाइन ट्यूबरकुलोसिस का इलाज किया गया।  डॉक्टरों के लिए इन सबसे पार पाना मुश्किल भरा काम था। हमारे चुनौती यह थी कि उपचार के दौरान महिला के पेट में पल रहे भ्रूण पर उपचार को असर नहीं होना चाहिए। इन सभी परेशानियों से दूर करने के लिए फिजियाथेरेपी के साथ कई क्लिनिकल प्रोसेस से महिला को गुजरना पड़ा। हमारे लिए यह केस खुद भी टेंशन को बढ़ाने वाला था।  अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ। सोनल गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की मल्टी स्पेशलिस्ट टीम द्वारा महिला का कई महीनों तक सावधानीपूर्वक इलाज किया गया, इस दौरान न केवल मरीज पूरी तरह से ठीक हो गई, बल्कि उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।