भोपाल । मध्य प्रदेश में करीब एक माह के अंदर ही रैगिंग की छह शिकायतें सामने आ चुकी हैं। कालेजों व संस्थानों में एंटी रैगिंग कमेटी गठित हैं, लेकिन अब तक एक भी प्रकरण का निराकरण नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। दो साल बाद कालेज व संस्थान खुले हैं। यूजीसी की एंटी रैगिंग कमेटी की एजेंसी अमन मूवमेंट के पोर्टल पर दस साल में प्रदेश में रैगिंग के 666 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 608 लड़के और 58 लड़कियों ने शिकायत की है।आंकड़े बताते हैं कि रैगिंग की शिकायतों में देशभर में मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यहां 2019 में सबसे अधिक 132 शिकायतें मिलीं। वहीं, रैगिंग के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। वहां 832 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है। इसके बाद महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान व केरल में रैगिंग के अधिक केस दर्ज हुए हैं। कालेज व संस्थानों के विद्यार्थी एंटी रैगिंग कमेटी में शिकायत तो कर देते हैं, लेकिन प्रबंधन के दबाव में कनिष्ठ विद्यार्थी सामने नहीं आते हैं। यही कारण है कि प्रदेश के कालेजों में रैगिंग की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं।हाल ही में भोपाल स्थित मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (मैनिट), राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) और एक निजी विवि में रैगिंग के प्रकरण दर्ज हुए हैं, लेकिन कोई भी मामला अब तक नहीं सुलझा है। इससे पहले भी मैनिट के दो प्रकरण एंटी रैगिंग हेल्पलाइन में दर्ज किए गए हैं। इसमें रीवा और इंदौर में भी रैगिंग का एक-एक प्रकरण दर्ज किया गया है। इंदौर के निजी विश्वविद्यालय में रैगिंग करने की घटना हेल्पलाइन में दर्ज की गई है। इसके अलावा रीवा इंजीनियरिंग कालेज में रैगिंग हुई है। आरजीपीवी के मामले में सोमवार को कनिष्ठ व वरिष्ठ विद्यार्थियों के बयान विभागीय समिति और अनुशासन समिति के सामने दर्ज हुए। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। विवि में दो से तीन घंटे में सभी विद्यार्थियों के अलग-अलग बयान दर्ज हुए। हालांकि, विवि प्रबंधन इसे रैगिंग न मानते हुए दो पक्षों में मारपीट की बात कह रहा है। कनिष्ठ विद्यार्थियों ने शिकायत में लिखा था कि कक्षा के बीच से तीसरे वर्ष के विद्यार्थी उन्हें जबरदस्ती उठाकर कैफे या गार्डन में ले जाते हैं। उनसे अर्धनग्न होकर डांस करने का दबाव डालते हैं। यहां तक कि लड़कियों के सामने भी उनकी रैगिंग ली जाती है। जब कोई उनकी बात नहीं मानता है तो उन्हें अलग-अलग ढंग से मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। मैनिट में पिछले सप्ताह यूजीसी की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन को मिली शिकायत के मामले में एंटी रैगिंग कमेटी अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है। इसकी वजह यह है कि कमेटी को अब तक शिकायतकर्ता विद्यार्थियों के नाम ही नहीं मिले हैं। शिकायत में भी विद्यार्थियों के नाम का खुलासा नहीं किया था। यहां पर शिकायत मिली थी कि वरिष्ठ विद्यार्थी कनिष्ठों पर जबरदस्ती शराब और सिगरेट पीने का दबाव डालते हैं। ऐसा नहीं करने पर वे मारपीट भी करते हैं। यहां बता दें कि कोई भी विद्यार्थी किसी भी समय यूजीसी के टोल फ्री नंबर 1800-180-5522 पर फोन करके सीधे भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। यूजीसी की ओर से संबंधित कालेज या संस्थान से जवाब-तलब किया जाएगा। कालेज या संस्थान के एंटी रैगिंग कमेटी को मामले की जांच करनी होगी। इस संबंध में आरजीपीवी के कुलपति डा. सुनील गुप्ता का कहना है कि रैगिंग अब बंद हो गई है। ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई होने से भी कमी आई है। विद्यार्थियों की आपस में लड़ाई होती है तो वे रैगिंग की शिकायत कर देते हैं।