हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनि जयंती का त्योहार मनाया जाता है।

मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर न्याय और कर्मफलदाता भगवान शनि का जन्म हुआ था। भगवान सूर्य इनके पिता और माता छाया है। शनि जयंती के अवसर पूजा, स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। जिन जातकों के जीवन में कष्ट, परेशानी और शनि दोष होता है वे शनि जयंती के मौके पर भगवान शनि को सरसों का तेल अवश्य चढ़ाएं। शनिदेव को कर्म फल दाता,दंडाधिकारी और न्यायप्रिय माना जाता है। मान्यता है कि अगर शनि की शुभ द्दष्टि जिस किसी पर पड़ जाए तो उसके जीवन में सुख, सुविधा, ऐश्वर्य और धन-दौलत की कोई कमी नहीं होती। शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शनि दोष से मुक्ति और शनि की शांति के लिए यह बेहद ही शुभ दिन माना जाता है।इस दिन शनि देव की पूजा करने से जातकों पर शनि की बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है और शनि दोष से छुटकारा मिलता है। शनि जयंती के इस पावन अवसर पर आप अपने मित्रों,रिश्तेदारों और परिजनों को शनि जयंती से जुड़े भक्तिमय संदेश भेज सकते हैं।

 
हे शनि देव तेरी जय जयकार
नीलवर्ण की छवि तुम्हारी, ग्रह मंडल के तुम बलिहारी
तेरे चरण में शरणागत है देवलोक और संसार।
शनि जयंती की शुभकामनाएं !

 
सदा तुम पूरी मेरी हर एक आस करना
हे शनिदेव तुम मुझे न निराश करना
तेरी भक्ति से मिलता है आत्मा को आराम
आपकी कृपा से रंक भी हो जाए राजा समान।
शनि जयंती की शुभकामनाएं

 
हे श्यामवर्ण वाले, हे नीलकंठ वाले,
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले,
स्वीकारो नमन हमारे, शनिदेव हम हैं तुम्हारे,
सच्चे सुकर्म वाले हैं, बसते हो मन में तुम ही हमारे।
शनि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

 
हे शनि तुम हो सबसे बेमिसाल,
तुमसे आंख मिलाए किसकी है मजाल,
सूर्य के हो पुत्र तुम और छाया के लाल,
मूरत तेरी देखकर भाग जाए काल।
शनि जयंती की शुभकामनाएं !