भोपाल ।  वित्तीय वर्ष 2021-22 अंतिम पड़ाव पर है। ऐसे में वन विभाग के अफसरों पर बचे शेष बजट को खर्च करने का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में फील्ड में तैनात अधिकारी आनन-फानन में बाउचर बनाकर बजट को ठिकाने लगा रहे हैं। कई अधिकारियों ने तो पांच-सात दिन में ही इतनी राशि खर्च कर दी है कि वरिष्ठ अधिकारी भी हैरान-परेशान हैं। दरअसल,  वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने मार्च में फील्ड के अफसरों पर राशि खर्च करने का दबाव बढ़ा है। इस कारण अधिकारी आनन-फानन में बाउचर बनाने में जुट गए हैं। गतदिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने भी इस पर आपत्ति जताई। इसके लिए दक्षिण बालाघाट के डीएफओ जीके बरकड़े को फटकार भी मिली।

4 दिन में 87 फीसदी राशि खर्च
फील्ड में तैनात अधिकारियों पर फंड खर्च करने का दबाव किस प्रकार है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दक्षिण बालाघाट डीएफओ ने  4 दिन में 87 प्रतिशत राशि खर्च कर दिए। गुप्ता ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में इस पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि क्या बाउचर दबा कर रखे थे? वीडियो कांफ्रेंसिंग में अकेले बरकड़े को फटकार नहीं लगी। वन बल प्रमुख के निशाने पर खंडवा सर्किल के प्रभारी सीसीएफ टीएस सूलिया और सीसीएफ सामाजिक वानिकी अनिल कुमार सिंह भी रहे। सूलिया को इसलिए फटकार लगी कि खंडवा में अवैध कटाई हो रही है और उन्होंने उसे रोकने के लिए कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया। सीसीएफ अनिल कुमार सिंह के मामले में पीसीसीएफ सामाजिक वानकी अतुल जैन ने कहा कि बजट तो जल्दी-जल्दी मांगते हो पर खर्च कर नहीं पाते? पीसीसीएफ जैन ने सीसीएफ सिंह से सवाल किया कि ट्रेजरी में कितने बिल लगाए हैं? पर्यावरण वानिकी बजट खर्च नहीं करने पर सीहोर वन संरक्षक अनुपम सहाय से सवाल किया कि आप तो काबिल अफसर हो पर खर्च क्यों नहीं कर पाए? इसका जवाब भी सहाय ने बड़ी ही शालीनता से दिया कि बजट ही देरी से प्राप्त हुआ और बैंकों के सॉफ्टवेयर में तकनीकी दिक्कत आ रही है।

कैंपा फंड की राशि खर्च करने में कंजूसी
ग्वालियर डीएफओ बृजेंद्र श्रीवास्तव, डीएफओ छतरपुर अनुराग कुमार, रतलाम, पश्चिम छिंदवाड़ा सहित आधा दर्जन डीएफओ ने कैंपा फंड की राशि खर्च करने में कंजूसी बरती। अब मार्च महीने में आनन-फानन में बाउचर बनाए जा रहे हैं। बाउचरों की अचानक बढ़ती संख्या देखकर सीनियर अफसर उसके यूटिलाइजेशन को लेकर सवाल उठाने लगे है। वीडियो कांफ्रेंसिंग में पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ने कर्मचारियों के राशन भत्ता का सवाल उठाया। शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार से राशन भत्ता के रूप में 50- 60 लाख रुपए हमें नहीं मिले हैं। उत्तम शर्मा के लाख टके का सवाल पर वन बल प्रमुख से लेकर वहां उपस्थित सभी सीनियर अफसर मौन हो गए, क्योंकि यह बजट केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। अकेले पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों का राशन भत्ता बकाया नहीं है, बल्कि प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में राशन भत्ते की राशि नहीं दी गई है। कान्हा नेशनल पार्क में 40 लाख बकाया है तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 50-60 लाख रुपया बकाया है। कमोबेश यही स्थिति, पेंच नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की भी है। यहां इस बात का उल्लेख करना अभी उचित होगा कि एनटीसीए के बजट में बड़ी राशि की कटौती की गई है। यानी पहले एनटीसीए को 400 करोड़ राशि मिलती थी. इस बार एनटीसीए को 275 करोड़ रूपए मिले हैं।