भोपाल ।  मप्र पावर जनरेशन कंपनी अपनी पूर्ण क्षमता से काफी कम बिजली उत्पादन कर रही है।  कंपनी के थर्मल पावर प्लांट की कुल क्षमता 5400 मेगावाट है जबकि बिजली का उत्पादन 3572 मेगावाट ही किया जा रहा है। वहीं प्रदेश के ताप विद्युत गृहों में कोयले की कमी भी बताई जा रही है।  बीते दिनों बिजली की मांग 28 करोड़ 22 लाख यूनिट तक पहुंची। जिसकी तुलना में 26 करेाड़ 89 लाख यूनिट बिजली की आपूर्ति की गई। ऐसे में करीब 1780 मेगावाट बिजली के लिए अघोषित कटौती की गई। बीते शुक्रवार को दिन में पौने चार बजे बिजली की सर्वाधिक मांग 12300 मेगावाट तक रही। कम उत्पादन की वजह कुछ इकाइयां रखरखाव के लिए तो कुछ कोयले की कमी के कारण क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं। सबसे बड़े खंडवा के श्रीसिंगाजी ताप विद्युत गृह की क्षमता 2520 मेगावाट है जिसकी तुलना में यहां 1950 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। यहां महज चार दिन का कोयला बचा है। इस वजह से कम लोड पर बिजली उत्पादन हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, सारणी तापगृह  की िबिजली उत्पादन क्षमता 1330 है लेकिन उत्पादन मात्र 508 मेगावाट हो रहा है। इसी तरह संजय गांधी तापगृह की क्षमता 1340 और उत्पादन 900 मेगावाट, अमरकंटक तापगृह की क्षमता 210 तथा उत्पादन 214 मेगावाट, श्रीसिंगाजी तापगृह  की क्षमता 2520 है और उत्पादन हो रहा है 1950 मेगावाट। इस संबंध में स्टेट लोड डिस्पेंच सेंटर के मुख्य अभियंता केके प्रभाकर ने बताया कि शुक्रवार को मप्र पावर जनरेशन कंपनी की इकाइयों से 3572 मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ। शेष केंद्रीय और निजी उपक्रमों की मदद से बिजली की आपूर्ति की गई। बिजली कंपनियों ने कोयले की आपूर्ति के लिए लगातार प्रयास तेज कर दिए है। इस संबंध में रेल अधिकारियों से भी संपर्क कर कोल की सप्लाई के लिए अतिरिक्त बढ़ाने की मांग की गई है। वहीं कोल कंपनियों का भी बकाया जल्द भुगतान किया जा रहा है ताकि कोयला सप्लाई में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।