भोपाल । प्रदेशवासी इस भीषण गर्मी में हवा के भरोसे जी रहे हैं। हवा नहीं चलने से प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया है। बुधवार को हवा धीमी पड़ने की वजह से विंड से बिजली नहीं बन पाई। नतीजा महज 100-150 मेगावाट के बीच ही विंड की बिजली बनी। इस वजह से प्रदेश में बिजली की कमी पैदा हो गई। बुधवार को करीब 300 मेगावाट बिजली की कमी सर्वाधिक मांग के दौरान पैदा हुई। इस कमी के दौरान बिजली सप्लाई ग्रामीण इलाकों में बंद करनी पड़ी। सिर्फ यही नहीं 12200 मेगावाट की बिजली की मांग बनी थी जिसकी तुलना में 11900 मेगावाट ही बिजली उपलब्ध हो पाई। करीब तीन सौ मेगावाट बिजली की कमी पैदा होने के कारण प्रदेश में अघोषित कटौती करनी पड़ी। प्रदेश में हवा से बनने वाली बिजली का हिस्सा 1600 मेगावाट तक होता है। रात में हवा तेज होने पर ज्यादा बिजली बनती है। दिन में 400-600 मेगावाट के बीच विंड से बिजली मिल जाती है। इस संबंध में स्टेट लोड डिस्पेंच सेंटर के मुख्य अभियंता केके प्रभाकर ने कहा कि बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने लिए लगातार प्रयास हो रहा है। पिछले साल की तुलना में इस साल 22 फीसद बिजली की मांग अधिक बनी हुई है। वहीं विंड से भी पर्याप्त बिजली नहीं मिलने के कारण कमी आई। बिजली सप्लाई में व्यवधान को लेकर कंपनी ने और निगरानी बढ़ा दी है। अब हर ट्रिपिंग की निगरानी एप के माध्यम से होगी। इसमें निर्धारित से ज्यादा ट्रिपिंग हुई तो दोषी का वेतन काटा जाएगा। इस नए एप की व्यवस्था से बिजली कर्मचारी और अधिकारी चिंतित हैं। एप का नाम एमएसपीईएस है जिसके जरिए मेंटनेंस की पूरी जानकारी मिल रही है किस किस ट्रांसफार्मर या पोल पर किसने और कब कार्य किया था, कार्य के बाद क्या दिक्कत आ रही है। फीडरवार बिजली की लाइन में किसी तरह का फाल्ट तो नहीं आ रहा है। एप ये सब जानकारी देगा। ट्रिपिंग या अन्य खामियां आने पर सम्बंधित कर्मचारी का एक इंक्रीमेंट तत्काल रोक दिया जाएगा और उसके खिलाफ आगे की कार्रवाई भी की जाएगी। ज्ञात हो कि मेंटेनेंस के नाम पर पांच से छह घंटे तक बिजली की सप्लाई को बंद किया जाता है लेकिन फिर भी ट्रिपिंग की समस्या का निदान नहीं होता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को बेवजह परेशान होना पड़ता है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री की तरफ से ट्रिपिंग को लेकर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद इस तरह की योजना पर काम किया गया।