पुलिस ने कहा - हमारे पास कोई व्यवस्था नहीं.....

कलेक्टर, संबंधित डीसीपी और उप संचालक, सामाजिक न्याय भोपाल दो सप्ताह में दें जवाब

भोपाल   शहर में शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार, नाबालिग और महिलाओं को रखने के लिये कोई शेल्टर होम नहीं है। ऐसे में इनके साथ कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है। इस बात को लेकर समाजसेवियों की चिंता बढ़ रही है। दरअसल, भोपाल शहर के छोला थानाक्षेत्र में बीते रविवार को मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार एक युवती घूमती हुई मिली थी। लोगों ने छोला थानाक्षेत्र पुलिस से संपर्क किया, तो उन्होंने युवती को शेल्टर होम में शिफ्ट कराने से मना कर दिया। उनका कहना था कि उनके यहां पहले से एक मानसिक विक्षिप्त महिला है। फिलहाल युवती को हमीदिया अस्पताल में भेजा गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। इस मामले में शहर के एक प्रबुद्ध नागरिक ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की है। उन्होंने बताया कि वे बीते रविवार को छोला थाना रोड से गुजर रहे थे, इस दौरान वहां कुछ लोग मानसिक व शारीरिक दिव्यांग एक युवती को छेड़ रहे थे। उन्होंने युवती से बातचीत करने की कोशिश की, तो उसकी भाषा समझ में नहीं आई। मामले में छोला पुलिस थाना प्रभारी से मदद चाही गई, तो उनका कहना था कि वह रोज ही इसी तरह घूमती है। इसे कहां रखवाएं, पता नहीं ? युवती को लेकर जब वे महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित गौरवी (सखी केन्द्र) वन स्टाॅप क्राइसिस सेंटर गए, तो उन्होंने भी इस युवती को सेंटर में रखने में असमर्थता जता दी।
मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य श्री सरबजीत सिंह ने कलेक्टर, संबंधित क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) तथा उप संचालक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, जिला भोपाल से दो सप्ताह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है। प्रतिवेदन में आयोग ने यह जानकारी भी चाही है कि क्या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को रखने की व्यवस्था भोपाल में उपलब्ध है ? यदि हां, तो फिर समाचार में प्रकाशित मामले में मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार युवती के पुर्नवास की व्यवस्था क्यों नहीं हो पाई ?