भोपाल । मप्र के ऊर्जा विभाग ने ग्रीन एनर्जी को लेकर नई प्लानिंग की है। विभाग प्रदेश में स्वदेशी -विदेशी कंपनियों को ग्रीन एनर्जी देकर इसका सर्टिफिकेट देगा। इसके तहत कन्वेंशनल एनर्जी यानी पारंपरिक बिजली सप्लाई के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर से कंपनियों को सोलर, विंड एनर्जी सप्लाई की जाएगी। इन कंपनियों को ग्रीन एनर्जी देने पर प्रति यूनिट 1 से 2 रुपए तक ज्यादा लिए जाएंगे। इसके एवज में आम उपभोक्ताओं को पारंपरिक बिजली सस्ती मिलने लगेगी।
ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे के मुताबिक ग्रीन एनर्जी का टैरिफ अलग रहेगा। इसके लिए एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग में पिटीशन फाइल की है। कंपनियों को ऑनलाइन अप्लाई करना होगा।
 सिर्फ टैरिफ और मीटरिंग होंगे अलग
ऊर्जा विकास निगम के चीफ इंजीनियर भुवनेश पटेल के मुताबिक अभी जिस ट्रांसमिशन लाइन, सब स्टेशन, ट्रांसफॉर्मर और खंभों से पारंपरिक बिजली सप्लाई हो रही है, उसमें सभी तरह की यानी सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, थर्मल पावर हाउस और पनबिजली घरों से पैदा होने वाली बिजली मिक्स है। नई योजना के तहत बिजली के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए ही इन कंपनियों को ग्रीन एनर्जी दी जाएगी। इसके लिए अलग से कोई इंफ्रास्ट्रक्चर या मैकेनिज्म नहीं होगा। सिर्फ टैरिफ और मीटरिंग अलग होंगे।
ये सुविधा मिलेगी
कंपनियां चाहे तो 100 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी इस्तेमाल कर सकेंगी। सभी कंपनियों को यह सुविधा देंगे। ग्रीन एनर्जी के लिए डिफरेंस प्रति यूनिट 2.30 रुपए प्रस्तावित किए हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक के बाद मप्र देश का तीसरा राज्य होगा, जो यह प्रयोग करेगा।
कंपनियों का होगा फायदा
कई विदेशी संस्थान व बड़ी कंपनियां इन कंपनियों से ग्रीन एनर्जी इस्तेमाल करने का सर्टिफिकेट मांगती हैं। मप्र सरकार का ग्रीन एनर्जी सर्टिफिकेट मिलने पर उन्हें ऐसी तमाम सुविधाएं मिल सकेंगी। जिन कंपनियों का खुद का इलेक्ट्रिसिटी का सेटअप होता है, उन्हें रिन्यूएबल एनर्जी के टारगेट पूरे करने होते हैं। सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद यह टारगेट भी बता सकेंगी।
मप्र में रिन्युएबल एनर्जी भरपूर
पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर कंपनियों को ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करना जरूरी कर दिया है। सिर्फ 10 किलो वॉट के लिए सोलर एनर्जी का पूरा ढांचा खड़ा करने में ?6 लाख खर्च होते हैं। 1 या 2 रुपए महंगी ग्रीन एनर्जी लेकर इंपोर्ट, एक्सपोर्ट के मामले में कंपनियां कई सुविधाएं लें सकेंगी। मप्र में रिन्युएबल एनर्जी भरपूर है। इसलिए विभाग ने नई प्लानिंग की है।
हानि होने पर होगी भरपाई
मप्र में रिन्यूएबल एनर्जी यानी सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी व हाइड्रल एनर्जी का उत्पादन पिछले 7 सालों में कई गुना बढ़ गया है। यह बिजली ग्रिड में मिक्स हो जाती है। अभी इस एनर्जी के एवज में बिजली कंपनियों की लागत की तुलना में राशि वसूल नहीं हो पा रही है। कंपनियों को ग्रीन एनर्जी महंगी देकर बिजली कंपनियां इस लॉस की भरपाई कर लेंगी।
उपभोक्ताओं को होगा फायदा
कंपनियों को महंगी ग्रीन एनर्जी देकर पारंपरिक बिजली सस्ती करने का रास्ता साफ होगा। इससे बिजली कंपनियां आम उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली दे सकेंगी।