नई दिल्ली । संसद की एक स्थायी समिति ने कहा है कि यमुना में झाग बनने से रोकने के लिए दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से इस नदी में प्रवाहित किए जाने वाले समूचे सीवेज का ट्रीटमेंट करने की जरूरत है। यमुना में झाग का बड़ा कारण बिना ट्रीटमेंट वाले सीवेज में फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट्स की मौजूदगी है। समिति का कहना है कि प्रदूषित नदी में झाग से त्वचा पर खुजली और संक्रमण हो सकता है। जल संसाधनों पर स्थायी समिति ने अपनी 27वीं रिपोर्ट में रेखांकित किया है कि यमुना में झाग को दिल्ली में आइटी ब्रिज, ओखला व कालंदी कुंज जैसे स्थानों पर देखा गया है। ओखला बैराज से नीचे की तरफ झाग ज्यादातर पानी के नीचे गिरने की वजह से बनता है। इस बैराज का रखरखाव उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग द्वारा किया जाता है।