केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अगुवाई वाली वाम मोर्चा सरकार ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी कि वरिष्ठ नौकरशाह एम शिवशंकर की विवादित पुस्तक पूर्व में ली जाने वाली अनिवार्य अनुमति के बिना ही प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक में उन्होंने सोना तस्करी मामले के एक आरोपी के रूप में अपने अनुभवों का ब्योरा दिया है। राज्य विधानसभा में एक पंक्ति के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि अधिकारी ने पुस्तक प्रकाशित करने से पूर्व अनुमति नहीं ली थी। इस पुस्तक का शीर्षक ‘अश्वथामावु वेरम ओरु आना’(अश्वथामा केवल एक हाथी) है।

यह जवाब इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के विधायक नजीब कंथापुरम के प्रश्न पर दिया गया। विजयन के पूर्व प्रमुख सचिव एवं उनके करीबी विश्वासपात्र शिवशंकर ने किताब में दावा किया है कि उन्होंने सोने की तस्करी में कोई गैरकानूनी हस्तक्षेप नहीं किया था और इस मामले के मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश का अनुचित रूप से कभी पक्ष नहीं लिया। इस महीने की शुरुआत में पुस्तक और शिवशंकर के दावों को लेकर एक पत्रकार के सवाल पर मुख्यमंत्री ने मीडिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस मामले में उनकी भूमिका के बारे में किताब में पढ़ने के बाद कुछ लोग नाखुश थे। यह पूछे जाने पर कि क्या शिवशंकर ने पुस्तक लिखने के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी। 

शिवशंकर ने पुस्तक में आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों पर मुख्यमंत्री को मामले में घसीटने का दबाव था और उन्हें विजयन के खिलाफ बयान देने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया था। सुरेश के साथ संबंध सामने आने के बाद शिवशंकर को सेवा से निलंबित कर दिया गया था। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीमा शुल्क द्वारा राजनयिक चैनल के माध्यम से सोने और डॉलर की तस्करी से संबंधित मामलों में गिरफ्तार किया गया था। उनका निलंबन हाल ही में सरकार ने रद्द कर दिया।