भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेट्री नोट्स  के जरिये किया जाने वाला निवेश जनवरी के अंत में घटकर 87,989 करोड़ रुपये रह गया |  जनवरी के पूरे महीने में ओमीक्रॉन और फेडरल रिजर्व के द्वारा सख्त कदम उठाये जाने की आशंका का असर दिखा है |  वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट  की वजह से विदेशी निवेशकों का नकारात्मक रुख आगे भी बना रहेगा |  और पी-नोट्स के जरिये निवेश में गिरावट बनी रह सकती है |  पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की तरफ से पी-नोट्स उन विदेशी निवेशकों  को जारी किए जाते हैं जो भारतीय शेयर बाजार में पंजीकरण के बगैर ही इसका हिस्सा बनना चाहते हैं |  हालांकि इसके लिए उन्हें निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है।