बच्चे पैदा करने के विकल्प के रूप में सरोगेसी संबंधी कानून को सिर्फ परोपकारी ही बनाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता एक महिला व एक पुरुष ने इसे व्यावसायिक भी बनाने की मांग की है ताकि वे भी सरोगेसी के जरिये बच्चे का पिता व माता बन सके। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए कहा कि इस पर विचार करने की जरूरत है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार से छह हफ्ते में जवाब देने को कहा है और सुनवाई 29 नवंबर के लिए स्थगित कर दी है।याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस कानून की वजह से वे पिता व माता नहीं बन सकते जो उनके मौलिक अधिकार का हनन है। इसलिए इस कानून में संशोधन किया जाए। उन्होंने इसको लेकर सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी  अधिनियम तथा सरोगेसी अधिनियम, 2021 के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी है।