भोपाल । प्रदेश सरकार द्वारा दी गई सहुलियतों, कई बार शुल्क दर में कमी करने के बाद भी प्रदेश की आधे से अधिक मंडियां घाटे में चल रही हैं। वर्तमान में प्रदेश की मंडियों से होने वाली आय 14 फीसदी तक घटी है। इसकी वजह कोरोना संक्रमण और प्राकृतिक आपदा माना जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण मंडियां काफी समय बंद रही। वहीं मंडी फीस की दर 6 अक्टूबर 2018 से दो रु.से घटाकर 1.50 रुपए हुई। वहीं 14 नवम्बर 2020 से 14 फरवरी 2021 तक शुल्क और घटाकर पचास पैसा कर दिया गया। वहीं मांग एवं आपूर्ति के आधार पर कृषि उपज मूल्य में परिवर्तन भी एक वजह है।
जानकारी के अनुसार कोरोना के कारण राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मुख्यतौर पर कृषि के क्षेत्र में कोरोना के साथ प्राकृतिक आपदा के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। इससे मंडियों में आवक और आय में कमी आई है। सरकार द्वारा पिछले दिनों कई बार शुल्क दर में कमी करने से भी राजस्व प्राप्ति में गिरावट आई। केन्द्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून लाने से भी अंतर पड़ा। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, कुक्षी, गंधवानी, थांदला, झाबुआ, अलिराजपुर, खरगोन, सनावद, बड़वानी, खंडवा, दतिया, भिंड, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, जबलपुर, उमरिया आदि मंडियों को ज्यादा घाटा हुआ है।
सबसे ज्यादा ए श्रेणी की मंडियों में आय प्रभावित
राज्य शासन का खजाना भरने में आगे मप्र राज्य कृषि विपणन संघ (मंडी बोर्ड) पिछले तीन साल से कमाई में पिछडऩे लगा है। औसत तौर पर 259 मंडियों में डेढ़ सौ मंडिया घाटे में चली गई हैं। ज्यादातर ए श्रेणी की मंडियों में आय प्रभावित हुई है जबकि चतुर्थ श्रेणी के कई मंडियों ने रिकार्डतोड़ आय बढ़ाई है। बालाघाट जिले की खैरलांजी मंडी 93 प्रतिशत आय के घाटे को पूरा करते हुए वर्ष 2020-21 में 837 प्रतिशत से अधिक आय बढ़ाई है।
हर मंडी को लाभ में लाने के लिए प्लान तैयार
 मंडी परिसर के बाहर लेनदेन को पकडऩे के लिए सौदा पत्रक ऐप लॉन्च किया गया है। अब किसान अपनी उपज को अपने खेत या घर से भी बेच सकेंगे। मंडी फीस डायवर्जन के मामलों पर नजर रखने के लिए उडऩदस्ते सक्रिय हैं। मंडी बोर्ड एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) के माध्यम से कृषि पर जोर दे रहा है। बुनियादी ढांचे में निवेश करने जा रहा है ताकि किसानों को उनकी गुणवत्ता और विविधता के अनुसार अपनी उपज बेचने के बेहतर विकल्प मिल सकें। कृषि उत्पादन के आंकड़ों के आधार पर मंडी शुल्क का लक्ष्य निर्धारित होगा। देश में मप्र का एक्सपोर्ट शेयर बढ़ाने के लिए मंडी बोर्ड में एक्सपोर्ट सेल की स्थापना की गई है। मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक विकास नरवाल का कहना है कि कोरोना और प्राकृतिक आपदा के साथ शुल्क में परिवर्तन होने से मंडियों की आय में प्रभाव पड़ा है लेकिन किसी भी मंडी को बंद नहीं किया गया। तीन साल में अधिकांश मंडियां फायदे पर भी रही हैं लेकिन अब हर मंडी को लाभ में बनाए रखने के लिए प्लान तैयार किया गया है।