अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। अमेरिका में नवंबर में महंगाई दर में कमी आने के बाद फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। इस बात के संकेत पहले ही मिल गए थे कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में पिछली बार की तरह 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी नहीं करेगा। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले पर कहा कि साल 2023 में अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ कर 5.1 फीसदी पर पहुंच सकती है।

अमेरिका में महंगाई पर काबू पाना चुनौती

अमेरिका में महंगाई लगातार आसमान छू रही है और महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व हर कोशिश कर रही है। यही कारण है कि पिछली बार 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई। हालांकि बाद में यह आशंका जताई जाने लगी थी कि ब्याज दरों में अचानक भारी बढ़ोतरी के कारण आर्थिक मंदी के खतरा मंडरा सकता है। अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने यह संभावना जताई है कि साल 2023 के आखिर तक ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि हो सकती है।

गिरावट के साथ खुले भारतीय शेयर बाजार

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ने का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला है। आज भारतीय बाजारों भी गिरावट के साथ खुले है। BSE सेंसेक्स 74 अंकों के साथ 62603 पर खुला है तो निफ्टी में 18 अंकों के गिरावट के साथ 18642 पर कारोबार की शुरुआत हुई है।

अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का भारत पर असर

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से पूंजी बाजार पर असर भारत में निश्चित तौर पर दिखाई देगा। भारत के शेयर बाजार से विदेशी पूंजी निवेश घट सकता है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से अपनी पूंजी निकाल भी सकते हैं। इसका सीधा असर ये है कि शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ सकती है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाने से डॉलर मजबूत स्थिति में आ जाएगा और रुपए में कमजोरी आने के कारण भारत को आयात करना महंगा पड़ेगा।

भारत में विदेश से आता है 13 फीसदी निवेश

गौरतलब है कि भारतीय शेयर मार्केट में कुल 13 फीसदी निवेश विदेश से आता है। ऐसे में यदि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती है तो यह पैसा अमेरिकी बॉन्ड की तरफ जाएगा, भारतीय शेयर बाजार में निवेश के लिए नहीं आएगा। आने वाले कुछ दिनों में भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को भी मिल सकती है।

अमेरिका में 15 साल से सबसे ज्यादा ब्याज दरें

फेड रिजर्व के इस फैसले के बाद ब्याज दरें 4.5 फीसदी के करीब पहुंच गई है, जो बीते 15 साल में सबसे अधिक है। साल 2023 के आखिर में ब्याज दर 5.1 फीसदी पर पहुंच सकती है।