भोपाल ।भले ही विधानसभा चुनाव में अभी 19 महीने का समय बचा हुआ है, लेकिन कांग्रेस ने अभी से चुनाव के लिए  फुल प्रूफ प्लान बनाकर उस पर अमल करना शुरू कर दिया है। दरअसल मप्र कांग्रेस के लिए ऐसा राज्य बना हुआ है, जहां पर उसे लगता है कि पार्टी सत्ता में वापसी कर सकती है। इसकी अपनी वजहें भी हैं। इस बार प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर कई तरह के बेहद अहम फैसले कांग्रेस में आश्चर्यजनक रुप से अब तक किए जा चुके हैं। इनमें पार्टी के चेहरे से लेकर राजनैतिक मामलों और वचन पत्र समिति का गठन तक शामिल है। इसकी वजह से यह तय हो चुका है कि अब प्रदेश में पार्टी कमलनाथ के चेहरे को सामने रखकर ही चुनावी मैदान में उतरेगी।
सीएम चेहरा तय होने के साथ ही उन्हीं की गाइडलाइन के तहत चुनावी रणनीति भी बनाई जा रही है। बताया जा रहा है कि अब पार्टी प्रदेश में सभी क्षत्रपों व नेताओं के बीच एकता का संदेश आमजन को देने के लिए योजना बना रही है। माना जा रहा है कि इसके लिए पार्टी अगले कुछ माह में एक बड़ा आयोजन कर सकती है, जिसमें मंच पर पार्टी के सभी गुटों के नेता एक साथ मंच पर नजर दिख सकें। इसके साथ ही इन नेताओं को अलग-अलग इलाकों में पार्टी की जीत की जिम्मेदारी भी दी जाना शुरू कर दी गई है। यही नहीं पार्टी अब जल्द ही सरकार के खिलाफ वादाखिलाफी को लेकर अभियान शुरू करने की योजना पर भी काम कर रही है। दरअसल सरकार गिरने सेसबक लेते हुए इस बार पार्टी का पूरा जोर अपने विधायकों की संख्या में वृद्धि पर लगा हुआ है। यही वजह है कि पार्टी द्वारा लगातार मैदानी स्तर पर लगातार सर्वे भी कराए जा रहे हैं। इसके अलावा पार्टी का जोर संगठन को मजबूत करने पर भी बना हुआ है। इसके तहत इस बार प्रदेश में कांग्रेस द्वारा भाजपा की ही तर्ज पर एक बूथ पर पांच यूथ कार्यक्रम चलाकर बूथों को मजबूती देने का काम किया गया और अब मंडलम-सेक्टर के गठन पर जोर बना हुआ है। इसे जमीनी स्तर पर यह बड़ी ताकत के रुप में मानकर चला जा रहा है।
बिठाया जा चुका है सामंजस्य
पार्टी में लंगे समय से नाराज चल रहे अरुण यादव जैसे नेताओं से अब कमलनाथ सामंजस्य बिठा चुके हैं। अरुण के साथ ही अन्य नेता भी अपने-अपने इलाकों के अलावा बाहरी इलाकों में भी अपनी सक्रियता बड़ा रहे हैं। यह बात अलग है कि कुछ दिन पहले ही अरुण यादव व अजय सिंह ने दिल्ली में सोनिया गांधी से भेंट की थी, जिसके बाद कई तरह के कायस लगना शुरू हो गए थे। उसके बाद जिस तरह से यह दोनों नेता कई मौकों पर कमलनाथ के साथ खड़े नजर आए, उससे कांग्रेस को लेकर प्रदेश में अच्छा संदेश गया है।
सदस्यता अभियान में पिछड़ी
कांग्रेस को प्रदेश में पार्टी के सदस्यता अभियान में बड़ा झटका लगा है। इसकी वजह है पार्टी द्वारा तय किए गए  70 लाख सदस्य बनाने के लक्ष्य की तुलना में 22 लाख सदस्य ही बना पाना। अब पार्टी का सदस्यता अभियान समाप्त हो चुका है। पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रदेश के सभी जिलों से सदस्यों की जानकारी अभी पूरी तरह से नही आ पायी है। कांग्रेस का सदस्यता अभियान 1 नवंबर से शुरू हुआ था। प्रदेश संगठन द्वारा पहले 31 मार्च तक 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे जनवरी में बढ़ाकर 70 लाख कर दिया गया था। पार्टी ने अपने सभी फ्रंटल  ऑर्गनाइजेशन, मोर्चा, प्रकोष्ठों और पार्टी पदाधिकारियों को अधिक से अधिक सदस्य बनाने का टारगेट दिया था। मैनुअल के साथ ऑनलाइन सदस्य बनाने का विकल्प भी पार्टी ने रखा है। सदस्यता अभियान के मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रकाश जैन को दी गई थी। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी पार्टी सदस्य बनाने के निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे रह गई। इसे देखते हुए पार्टी ने अभियान के समापन की अवधि 15 दिन बढ़ाते हुए 15 अप्रैल कर दी थी। हालांकि इसके बाद भी पार्टी सदस्यों की संख्या में  कोई इजाफा नहीं कर पाई।