भोपाल । राजधानी के भोपाल हाट में लगे वन मेले में मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों में संचालित वन धन केंद्रों के द्वारा बनाए जा रहे सभी उत्पाद ग्राहकों को खूब पसंद आ रहे हैं। 
 प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत  बनाए गए इन उत्पादों में वनौषधियों (जड़ी-बूटी) के अलावा मुहए एवं देशी मोटे अनाज (मिलेट्स) के प्रति बढ़ती लोकप्रियता ने देशी महुए के लड्डू, महुए का अचार, महुआ कुकीज, कोदो-कुटकी कुकीज, अलसी लड्डू, तिल लड्डू, देशी मक्का कुकीज, आंवला कैंडी और आंवला पाचक ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वन मेले के दूसरे दिन 15 हजार से अधिक लोग पहुंचे और उन्होंने इन उत्पादों को खरीदा भी। दूसरे दिन वन मेले में लगभग साढ़े नौ लाख रुपये की हर्बल औषधियों की बिक्री हुई है। साथ ही यहां बैठे वैद्यों से 500 से ज्यादा आगंतुकों ने निश्शुल्क परामर्श लिया है। जानकारी के अनुसार, सुबह 10 से रात नौ बजे तक आयुर्वेदिक चिकित्सक तथा अनुभवी वैद्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ओपीडी में आयुर्वेदिक चिकित्सकों तथा अनुभवी वैद्य द्वारा निश्शुल्क परामर्श मेले के अंतिम दिन 28 जनवरी तक जारी रहेगा। मेले में लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के विन्ध्य हर्बल्स ब्रांड के उत्पादों जैसे शहद, च्यवनप्राश एवं त्रिकुट आदि को उनके प्रभावी असर एवं गुणवता की वजह से काफी सराहा जा रहा है। नर्सरी के औषधीय पौधे भी आकर्षित कर रहे हैं। लघु वनोपज से समृद्धि विषय पर एक कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव, वन विभाग जेएन कंसोटिया एवं प्रशासक राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने कहा कि आदिवासी सदियों से वनोपज का उपयोग कर रहे हैं। अब बदलते समय के साथ उनको भी लाभ मिलना चाहिए। सस्टेनेबल कांसेंट के साथ वनोपज की नई नीति बनानी चाहिए जैसे कि फूड ग्रेड महुआ को नेट पर एकत्रित कर अधिक मूल्य प्राप्त हो सके। वहीं प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख डा. अभय पाटिल ने बताया कि वर्तमान वन नीति में लघु वनोपज का प्रबंधन और संरक्षण का उल्लेख है। लघु वनोपज को शहरी लोगों तक पहुंचाने के लिए उनकी पैकेजिंग, गुणवत्ता, सफाई पर ध्यान देने की आवश्यकता है। विभाष कुमार ठाकुर ने कहा कि समय के साथ सभी हितग्राहियों के कार्य करने की शैली भी बदल रही है तथा उनकी आजीविका के साधन भी बढ़ रहे हैं।मेले मे एलोवेरा से निर्मित साबुन, शैंपू, हैंड वाश, जेल, आंवला अचार, शतावर अचार, जंगली शहद एवं अन्य उत्पाद भी लोगों द्वारा काफी पसंद किए जा रहे हैं। विभिन्न जिलों से शामिल प्राथमिक वनोपज समितियों के उत्पाद, जंगली जड़ी-बूटियां, मध्य प्रदेश राज्य बंबू मिशन के उत्पादों से तो लोगों की नजर नहीं हट रही है।