भोपाल । मप्र कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के मददेनजर अभी चुनावी मोड में आ गई है। कांग्रेस ने साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में प्रारंभ कर दी है। कांग्रेस ओबीसी वर्ग को साधने के लिए अलग-अलग समाज का सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। पार्टी के जानकारों का कहना है कि पिछले दिनों मोर्चा-प्रकोष्ठ की बैठक में यह बात सामने आई थी कि पिछड़ा वर्ग के नाम पर यादव, लोधी, किरार, कुर्मी सहित कुछ समाज के व्यक्तियों को महत्व मिलता है, जबकि पिछड़ा वर्ग का दायरा व्यापक है। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 50 प्रतिशत से आसपास है। कई विधानसभा क्षेत्रों में यह निर्णायक भूमिका में हैं। भाजपा हो या कांग्रेस, कोई भी इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता है। यही वजह है कि पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के मामले में दोनों दल एक मत हैं। दोनों में होड़ लगी हुई है कि कौन पिछड़ा वर्ग का अधिक हितैषी है। शिवराज सरकार ने तो अलग से पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ही गठित कर दिया है। 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए जिलेवार ओबीसी के मतदाताओं का सर्वे कराया जा चुका है। कांग्रेस भी पिछड़ा वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है, इसलिए इनसे जुड़े विभिन्न् सामाजिक संगठनों के दो सम्मेलन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ की मौजूदगी में कराए जा चुके हैं। कुशवाह समाज का अलग सम्मेलन हो चुका है। अब अन्य समाज के सम्मेलन किए जाएंगे। दरअसल, पिछले दिनों मोर्चा-प्रकोष्ठ की समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि पिछड़ा वर्ग के नाम सिर्फ यादव, लोधी, किरार, कुर्मी सहित कुछ समाज से जुड़े व्यक्तियों को ही महत्व मिल रहा है। इससे अन्य समाज के व्यक्ति पार्टी से नहीं जुड़ पाते हैं। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने के बाद प्रदेश सरकार ने जिलों में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का सर्वे कराया है। इसमें करीब 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के पाए गए हैं। राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने इसके आधार पर आरक्षण प्रतिशत और बढ़ाने की अनुशंसा सरकार से करने की तैयारी की है। आयोग के सदस्यों और विभाग के प्रमुख अधिकारियों की रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्रारंभिक चर्चा भी हो चुकी है। मोर्चा प्रकोष्ठ के प्रभारी जेपी धनोपिया का कहना है कि पिछड़ा वर्ग का दायरा व्यापक है, इसलिए अब विभिन्न् समाज के न सिर्फ सम्मेलन किए जाएंगे, बल्कि संगठन में उचित प्रतिनिधित्व भी दिया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन भी होंगे।