यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 403 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें जीत पाई। इसमें रामपुर खास से अराधना मिश्रा मोना और महाराजगंज की फरेंदा सीट से वीरेंद्र चौधरी जीते हैं। कांग्रेस से ज्यादा सीटें निषाद पार्टी, अपना दल और राष्ट्रीय लोकदल ने पा लीं। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए कुछ पार्टी पदाधिकारी टिकट तय करने वाली कोर कमेटी के नेताओं को जिम्मेदार बता रहे हैं। उन्होंने ऐसे नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेसियों ने ऐलान किया है कि वे 14 मार्च को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर पहुंचेंगे और राहुल-प्रियंका गांधी से मिलेंगे।

कांग्रेस के पूर्व महासचिव वीरेंद्र सिंह गुड्डू ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा- 'चुनाव परिणामों से, दलाल एवं गद्दारों की साजिश से विचलित होने की जरूरत नहीं है। देश की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। एक नई शुरुआत करने के लिए, 2024 में सत्ता परिवर्तन के लिए, सोनिया-राहुल-प्रियंका गांधी के हाथ मजबूत करने के लिए कांग्रेस का हर कार्यकर्ता उनके साथ खड़ा है। गद्दारों एवं षड़यंत्रकारियों को नाकाम करने के लिए 14 मार्च की सुबह 11 बजे दिल्ली अवश्य पहुंचें।'

यूपी कांग्रेस में टिकट वितरण के लिए सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह, राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इन लोगों ने प्रियंका गांधी को गुमराह करके इस तरह के उम्मीदवारों को टिकट दिए, जो जीतने की लाइन में ही नहीं थे। इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन यूपी चुनावों में बेहद खराब रहा है।यूपी में 2 सीटें जीती कांग्रेस, प्रदेश अध्यक्ष तक हारे साल 2017 के चुनाव कैंपेन की जिम्मेदारी राहुल गांधी पर थी। उन्होंने अखिलेश यादव से हाथ मिलाकर यूपी में साझेदारी का चुनाव लड़ा। उस वक्त कांग्रेस ने 7 सीटें जीती। 2022 में चुनाव कैंपेन की कमान खुद प्रियंका गांधी के हाथ में रही। वह ज्यादातर जिलों में प्रचार करने गईं। सालभर तक प्रदेश सरकार पर हमलावर दिखीं। इसके बावजूद कांग्रेस की सिर्फ 2 सीटें आ पाईं।