19 अप्रैल 2006 को पीड़ित बच्ची के पिता ने पुलिस में यह शिकायत दी थी कि 14 अप्रैल 2006 को उसकी 13 वर्षीय बच्ची निहाल विहार के लक्ष्मी पार्क स्थि अपनी दोस्त के  घर जाने के लिए निकली थी लेकिन वापस नहीं लौटी। इस संबंध में उन्होंने एक गुमशुदा होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। पीड़िता के पिता ने अपनी शिकायत में जोगिंदर और कमलेश पर बेटी के अपहरण का आरोप भी लगाया था।

बाद में उन्होंने उनकी बेटी की तलाश के लिए जोगिंदर और कमलेश के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की भी गुजारिश की थी। उनकी शिकायत पर नांगलोई थाने में आईपीसी की धारा 375/06 363/34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। जांच के दौरान पुलिस ने जोगिंदर और कमलेश के संभावित ठिकानों पर कई छापे मारे लेकिन दोनों पकड़ में नहीं आ सके। जांच के दौरान नाबालिग बच्ची को बरामद कर लिया गया और उसका मेडिकल कराने के बाद आईपीसी की धारा 366ए और 376 आरोपियों पर जोड़ी गई। पुलिस के कई प्रयास के बाद भी वह आरोपियों को नहीं पकड़ सकी जिसके बाद तीस हजारी कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 11 सितंबर 2009 को अपराधी घोषित कर दिया। बीते एक महीने से पुलिस यूपी और दिल्ली में आरोपियों को तेजी से ढूंढने में लगी थी। 

पुलिस ने दोनों को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया है और पूछताछ कर रही है। आरोपियों की पहचान जोगिंदर सिंह और कमलजीत सिंह उर्फ कमलेश के रूप में हुई है। जोगिंदर चौथी तक पढ़ा है जबकि कमलेश पांचवीं कक्षा तक पढ़ी है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच का 15 साल लंबा इंतजार उस वक्त खत्म हुआ जब पुलिस ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से एक भाई-बहन की जोड़ी को गिरफ्तार किया।