भोपाल । भाजपा में मैदानी स्तर पर संगठन का काम करने वाले नेताओं को अगर विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी करनी है, तो उन्हें संगठन के पदों से इस्तीफा देना होगा। यह गाइड लाइन भाजपा के प्रदेश संगठन द्वारा बना ली गई है। यह बात अलग है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का समय है, लेकिन उसके पहले संगठन चुनाव होने हैं। टिकट के दावेदरों के लिए बनाई गई इस गाइडलाइन का असर संगठन चुनाव में दिखना तय माना जा रहा है।
डेढ़ साल पहले इस गाइडलाइन को तैयार कर उसे लागू करने की वजह भी संगठन चुनाव को बताया जा रहा है, जिससे की इन चुनावों में नए चेहरों को मौका दिया जा सके और चुनाव के समय संगठन में फेरबदल करने की जरुरत नहीं पड़े। दरअसल सत्तारुढ़ दल भाजपा में अब कुछ दिनों बाद सदस्यता अभियान शुरू करने की तैयारी जोर-शोर से जारी है। इसके साथ ही प्रदेश में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इन संगठन चुनावों में 65 हजार बूथों, 1 हजार से अधिक मंडलों सहित सभी जिलों ने जिलाध्यक्षों का चुनाव होगा। संगठन के लिए इस बार सदस्यता अभियान का विशेष महत्व है, इसकी वजह है कुशाभाऊ जन्मशताब्दी वर्ष में भाजपा द्वारा विस्तार अभियान को चलाया जाना। पार्टी चार साल हो जाने की वजह से इसी साल चुनाव करा लेना चाहती है। इसकी वजह है अगले साल मप्र सहित तीन राज्यों में विधानसभा के आम चुनाव होना। यह तीनों ही राज्य पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
संगठनात्मक चुनाव एक साल पीछे चल रहा
दरअसल कोरोना की वजह से पार्टी के संगठनात्मक चुनाव पहले ही एक साल पीछे चल रहे हैं।  इससे पहले 2017 में विधिवत संगठन के चुनाव कराए गए थे, उस समय पार्टी की कमान राष्ट्रीय स्तर पर अमित शाह के पास थी। इसके लिए पार्टी में केन्द्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान के साथ ही चुनावी प्रक्रिया का भी खाका तैयार करने काम शुरू किया जा चुका है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बार सदस्यता अभियान में नई तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है। गौरतलब है कि भाजपा के अस्सी फीसदी से अधिक बूथ डिजिटलाइज हो चुके हैं। सदस्यता अभियान में डिजिटलाइजेशन का उपयोग किया जाएगा। पिछली बार पार्टी ने मिस्ड कॉल करके सदस्य बनाए थे और दावा किया था कि प्रदेश में एक करोड़ से अधिक सदस्य बनाए गए हैं। इस बार लक्ष्य इससे दुगना किया जा रहा है।
मिल सकता है एक्सटेंशन
अगले साल चुनावी साल होने की वजह से माना जा रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को एक साल का एक्सटेंशन मिल सकता है। दरअसल अगले साल प्रदेश में नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। वीडी को प्रदेश की कमान 15 मार्च 2020 में सौंपी गई थी। पार्टी संविधान के अनुसार संगठन में हर तीन साल में चुनाव कराए जाते हैं और अध्यक्ष पद पर एक ही व्यक्ति लगातार दो बार नहीं रह सकता है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें एक साल का समय और देगी और विस चुनाव के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव करा सकती है।
तो देना ही होगा इस्तीफा
संगठन चुनाव के दौरान जिलाध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों को यह बताना होगा की वे चुनाव के समय किस क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी करने की तैयारी कर रहे हैं। उन नेताओं से पार्टी पहले ही इस्तीफा ले लेगी, यह बात अलग है कि यह बाद में पता चलेगा की उन्हें टिकट मिलता है या नहीं। खास बात यह है कि टिकट के दावेदारों में मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश पदाधिकारियों तक को दावेदारी करने से पहले अपने-अपने पदों से इस्तीफा देना होगा।  संगठन सूत्रों की मानें तो छह अप्रैल को पार्टी का स्थापना दिवस है। इस दिन से सदस्यता अभियान विधिवत प्रारंभ करने का ऐलान पार्टी कर सकती है। इसके साथ ही महिलाओं और अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए कार्ययोजना भी इसी दिन घोषित की जा सकती है।