नई दिल्ली । इस बार के लोकसभा चुनावों में जाति का मुद्दा बुरी तरह से हावी होने वाला है। ‎विपक्ष ने जहां जा‎तिगत जनगणना का दांव चलाया है तो भाजपा ने भी विपक्ष की जाति जनगणना की काट निकाल ली है। ‎विगत ‎दिनों बिहार के मुजफ्फपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी की रणनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की एक नवंबर की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भगवा पार्टी एक बड़ी घोषणा करेगी, जिसमें पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सर्वेक्षण की बात होगी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसमें अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई बड़े नेता शामिल हुए। बैठक के अगले ही दिन ओबीसी आउटरीच पर एक उच्च स्तरीय बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई। इस पर जानकार लोगों ने कहा कि तौर-तरीकों पर अभी काम किया जाना बाकी है, लेकिन केंद्र सरकार जल्द ही इसको लेकर घोषणा कर सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा ‎कि कांग्रेस हिंदू वोटों को विभाजित करने के एकमात्र उद्देश्य से जाति जनगणना के वादे को दोहराती रहती है। हम ओबीसी सर्वेक्षण की घोषणा करके उस रणनीति को भी कुंद कर देंगे। 
भाजपा ने बताया है कि जब जाति सर्वेक्षण की घोषणा की गई थी तब वह बिहार में सरकार का हिस्सा थी। मंगलवार को जब नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने आरक्षण को 75 प्र‎तिशत तक बढ़ाने का ऐलान किया तो भाजपा ने भी इसका समर्थन किया। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद अमित शाह ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में यह मुद्दा उठाया। पार्टी ने कहा ‎कि हम वोटों के लिए तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करते हैं। हम पार्टी के भीतर चर्चा करने के बाद जातीय जनगणना पर उचित निर्णय लेंगे। भाजपा ने कभी भी जाति जनगणना का विरोध नहीं किया, लेकिन इस पर बहुत सोच-विचार कर निर्णय लेना होगा।
अमित शाह ने बिहार की रैली के दौरान कहा ‎कि वे महागठबंधन से ‎मिलकर इस रिपोर्ट के साथ खुद को ओबीसी के चैंपियन के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार को याद रखना चाहिए कि जब जाति सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया गया था, तब भाजपा राज्य सरकार का हिस्सा थी। सर्वे में मुसलमानों और यादवों की संख्या बढ़ गई है। वहीं, ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) की संख्या कम हो गई थी। यह लालू प्रसाद के दबाव में किया गया है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि अमित शाह के शब्दों से पता चलता है कि भाजपा ने पिछले महीने में इस मुद्दे पर किस तरह ध्यान केंद्रित किया है।