भोपाल । आमतौर पर सियासी दल जनता से जुड़े मुद्दों पर चुनाव लड़ते हैं लेकिन मध्य प्रदेश की सियासत में इन दिनों सर्वे का जोर है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एमपी विधानसभा चुनाव 2023 के चुनाव से पहले खुद के कामकाज और एक दूसरे की कमियां तलाशने के लिए सर्वे आजमा रहे हैं।बीजेपी ने सरकार के कामकाज योजनाओं की खूबी और कमी सहित स्थानीय मुद्दों पर फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। अपने संगठन कार्यकर्ताओं के जरिए पार्टी और सरकार के कामकाज, अच्छे और बुरे फीडबैक का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। ताकि चुनाव के ठीक पहले बाकी बची कमियों को दूर कर लोगों में खुद की छवि को चमका सकें।

भाजपा बूथ कमेटी के भरोसे
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कहा पार्टी सर्वे के लिए किसी एजेंसी के सहारे नहीं बल्कि अपने कार्यकर्ता के भरोसे आगे बढ़ती है। पार्टी बूथ विस्तार कार्यक्रम के जरिए बूथ कमेटियों से फीडबैक जुटा रही है। सर्वे रिपोर्ट पार्टी की बूथ कमेटी देंगी।

सर्वे पर फिर भरोसा
दूसरी तरफ 2018 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार चयन से लेकर मुद्दों तक सर्वे के सहारे रही कांग्रेस सत्ता तक पहुंची। इसलिए इस बार फिर वो 2023 के चुनाव से पहले सर्वे पर निर्भर हो गयी है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी इस बात का सर्वे करा रही है कि कांग्रेस का कौन सा विधायक वोटर की नजर में रेड जोन में है और कौन सा ग्रीन जोन में। 2023 के चुनाव में जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में पार्टी अभी से सर्वे करा रही है। कांग्रेस के मुताबिक निजी एजेंसियों के जरिए कमलनाथ अपने करीबियों से सर्वे कराते हैं जो चुनाव में पार्टी के लिए मददगार साबित होती है। इस बार भी कमलनाथ कुछ इसी तरीके के सर्वे के भरोसे आगे बढ़ रहे हैं।

जिताऊ उम्मीदवार की तलाश
चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक दल अलग-अलग तरीके के सर्वे के आधार पर खुद में सुधार और विपक्षी दल की कमियों के साथ जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं। यही कारण है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही सियासी दल अपने-अपने स्तर पर सर्वे करा रहे हैं ताकि सत्ता की राह आसान बना सकें।