भोपाल ।  तापमान जब 40 डिग्री से अधिक हो तो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए  थर्मो रेगुलेशन सिस्टम को बरकरार रखना होता है। 40 डिग्री तापमान के बाद लू चलने की संभावना रहती है। यूं तो हमारा शरीर बाहरी तापमान के अनुरूप खुद को संतुलित करना जानता है इसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में थर्मो रेगुलेशन कहा जाता है। जब तापमाप बढ़ता है तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है। यदि शरीर में पानी की कमी हो जाए तो थर्मो रेगुलेशन सिस्टम बिगड़ जाता है और हम बीमार पड़ जाते हैं। इसे ही लू का लगना कहा जाता है। आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डा. प्रीति शुक्ला के अनुसार यदि शरीर का तापमान 100 डिग्री फेरेनाइट से ऊपर होने लगे तो घरेलू तरीके अपनाने के बजाए चिकित्सकीय परामर्श लें। जहां तक बात लू से बचने की है तो सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाएं। इसके लिए पोषणयुक्त भोजन करें और नियमित संतुलित मात्रा में व्यायाम भी करें। इस मौसम में बासी भोजन बिल्कुल भी न करें। यदि शरीर में पानी की कमी न हो तो उसके लिए प्रयास करें कि तेज धूप में घर से बाहर नहीं निकलें।कोशिश करें कि बाहर जाएं तो नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी, गन्ने का रस पीते रहें जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। बाहर कुछ भी खाएं-पिएं तो स्वच्छता का ध्यान रखें। प्रयास करें कि आपके सामने बने खाद्य पदार्थ ही खाएं या ताजा जूस ही पिएं। धूप में जाते वक्त प्रयास करें कि शरीर ढंका रहे ताकि सूरज की किरणें सीधे शरीर पर नहीं पड़े। यदि शरीर में पानी की कमी नहीं होगी तो लू भी नहीं लगेगी।यदि धूप में घर से बाहर जाना भी हो तो खाली पेट न जाएं और बाहर जाने से पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर जाएं।