नई दिल्ली । दिल्ली सड़कों पर ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या और लोगों की सुरक्षा विषय पर गंभीर चिंता जताते हुए दिल्ली परिवहन सचिव आशीष कुंद्रा ने कहा कि लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए इनसे भी ज्यादा किफायती साधनों के संचालन की रूपरेखा पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने एक गैर-लाभकारी संगठन और विश्व बैंक द्वारा तैयार किए गए एक अध्ययन सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा भारत में सड़क सुरक्षा- अच्छी प्रथाओं की लॉन्चिंग पर बोलते हुए कहा कि प्रमुख सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने की इजाजत नहीं है। इसके बावजूद दिल्ली के मुख्य मार्गों पर भी बेधड़क ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। इनमें से काफी संख्या में ई-रिक्शा परिवहन विभाग में पंजीकृत तक नहीं हैं। इस मामले के विशेषज्ञों ने दिल्ली में ब्लैकस्पॉट को ठीक करने पर तेजी से कार्य करने और सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुफ्त कैशलेस चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता का सुझाव दिया। दिल्ली की सड़कों पर सुरक्षित आवागमन को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कहा कि इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं। तय योजना पर प्रभावी अमल की जरूरत है। दिल्ली परिवहन सचिव कुंद्रा ने यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए जारी किए गए चालान की संख्या के साथ बीमा प्रीमियम को जोड़ने की आवश्यकता का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ट्रैफिक चालान का एक निश्चित हिस्सा सीधे राजकोष में जाने के बजाय सड़क सुरक्षा गतिविधियों में उपयोग के लिए एक प्रणाली विकसित की जा सकती है। कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों नेदिल्ली में ब्लैकस्पॉट को ठीक करने और सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुफ्त कैशलेस चिकित्सा देखभाल पर तेजी से काम करने की आवश्यकता का सुझाव दिया। अतिरिक्त सचिव (परिवहन) महमूद अहमद ने कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय कैशलेस योजना पर काम कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक गैर पंजीकृत ई-रिक्शा की संख्या लगभग 40 प्रतिशत है।