भोपाल । मध्यप्रदेश में स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर (एसएलडीसी) पर लगातार सायबर हमले हो रहे हैं। हैकर्स प्रदेश को अंधेरे में डूबोने की कोशिश कई बार कर चुके हैं। बीते एक माह में करीब आठ से दस बार सायबर हमला किया गया है। राहत की बात ये है कि हर बार हैंकर्स कम्प्यूटर पर लगी सुरक्षा दीवार को भेंदने में नाकाम रहे हैं। ये सायबर हमला है जिसके जरिए हजारों किलोमीटर दूर बैठकर हैकर्स के जरिए करने का प्रयास हो रहा है। हालांकि हैकर्स के हमले हर बार नाकाम किए जा रहे हैं।बढ़ते हमलों को देखते हुए एसएलडीसी ने केंद्रीय एजेंसियों से परामर्श लेकर सुरक्षा दीवार को अभेद बनाया जा रहा है। एसएलडीसी के मुख्य अभियंता केके प्रभाकर ने बताया कि सायबर हमलों की आशंका हर समय रहती है। इससे बचाव के लिए लगातार काम किया जाता है। हमने केंद्रीय एजेंसियों से लगातार संपर्क बनाकर रखते हैं, उनकी सलाह पर नियमित साफ्टवेयर अपडेट और फायर वाल का उपयोग किया जाता है। लोड डिस्पेच सेंटर में संचालित अत्याधुनिक इन्फारमेशन टेक्नालाजी के सिस्टमों को सुरक्षित करने के लिए केन्द्र सरकार ने इसे क्रिटिकल एवं प्रोटेक्टेट सिस्टम माना है। एसएलडीसी के अधीक्षण अभियंता राजेश गुप्ता ने बताया कि पिछले कुछ माह में सायबर हमलों में इजाफा हुआ है। पहले एक-दो बार ही अनचाहे हमले होते थे, लेकिन बीते मार्च में आठ से दस बार हमले हुए। हैंकर्स कई बार घंटों लगातार साफ्टवेयर के जरिए दाखिल होने के लिए हमले करते रहते हैं। सुरक्षा दीवार ऐसे हमलों से बचाती है। लद्दाख के एसएलडीसी में भी जब चीनी सायबर हमला हुआ था उस वक्त वहां से कुछ मैसेज को ब्लाक करने के निर्देश मिले थे। इसके अलावा केंद्र से भी समय—समय पर सलाह मिलती है। लोड डिस्पेच की चार प्रणालियां स्काडा, रिन्युवल इनर्जी मेनेजमेंट सिस्टम, यूनिफाइड रियल टाइम डायनामिक सिस्टम तथा वेब आधारित इनर्जी शेड्यूलिंग सिस्टम इस साइबर सुरक्षा प्रणाली से सुरक्षित है। मप्र देश का पहला एसएलडीसी है, जिसे भारत सरकार के नियमों के तहत राष्ट्र की धरोहर की तरह संरक्षित किया गया है। सरकार के अनुमोदन से प्रदेश के बिजली तंत्र के लिए सुरक्षा की दोहरी प्रणाली रहेगी, हनी पाट डिवाइस से इस प्रणाली को साइबर अटैक से और सुरक्षित किया गया है। अब एसएलडीसी की प्रणाली में इंटरनेट के जरिये छेड़छाड़ या हैकिंग जैसा प्रयास राष्ट्र की सुरक्षा पर सीधा हमला होगा।एसएलडीसी का साल में दो बार सायबर आडिट होता है। फरवरी 2022 में अंतिम आडिट हुआ। जिसमें सुरक्षा से जुड़े सारे मापदंड पूरे मिले। केंद्र की कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम और नेशनल क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोटेक्शन सेंटर की मदद लेकर सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाया जा रहा है। मालूम हो कि पावर प्लांट से बिजली ग्रिड पर दौड़ती है, जिससे ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से ही लेकर वितरण कंपनी को दिया जाता है। एलएलडीसी प्रदेश में बिजली की जरूरत का प्रबंधन करता है।